।। विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् ।।
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यः पठति लिखति पश्यति परिपृच्छति पण्डितानुपाश्रयति । तस्य दिवाकरकिरणैर्नलिनीदलमिव विकास्यते बुद्धिः ॥यः पठति लिखति पश्यति परिपृच्छति पण्डितानुपाश्रयति । तस्य दिवाकरकिरणैर्नलिनीदलमिव विकास्यते बुद्धिः ॥
जो पढ़ता है, लिखता है, गौर से देखता है, प्रश्न पूछकर अपने मन की आशंकाओं को दूर करता है, बुद्धिमानों का आश्रय लेता है, उसकी बुद्धि सूरज की किरणों से विकसित होने वाली कमलदल की तरह विकसित होती हैं।
Intellect of a person who reads, writes, observes closely, inquires to clear his own doubts, lives in the company of wise and learned persons is intensified just as the lotus petals expand by the rays of sun.